गीत:-नयन चिर नींद मांगे है।
रहे सोए ,न जागें है
नयन चिर नींद मांगे है।
हृदय में अब विषमता है
नयन में भी तरलता है
नही सुनते पटल कुछ भी
भरी रसना गरलता है
सुखद कुछ भी नहीं लगता
दुःखों के भाग जागे हैं
नयन चिर नींद मांगे है।
कलश सब सोम के फूटे
सभी सपने लगे झूठे
अकेलापन हुआ अपना
मेरे अपने थे जब रूठे
यही एक सत्य जीवन का
की तुम बिन हम अभागे है
नयन चिर नींद मांगे है।
बुलाता भाग्य है मुझको
कि गिरि को लाँघना है अब
चले आओ चले आओ
कि नभ को बाँधना है अब
मगर क्यों ये करूं अब मैं
यही एक प्रश्न आगे है
नयन चिर नींद मांगे है।

Excellent
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