मम अंतर्नाद

मम अंतर्नाद
मेरा एकल ग़ज़ल संग्रह

बुधवार, 29 दिसंबर 2021

आवारा नहीं हूँ।।


किसी के प्यार का मारा नहीं हूँ।।

समंदर हूँ मगर खारा नहीं हूँ।।


मैं खुशबू हूँ सभी में घुल रहा हूँ

मगर ए यार आवारा नहीं हूँ।।


सभी मुझको बताते अपना लेकिन

किसी अपने को मैं प्यारा नहीं हूँ।।


हवा हूँ कल वहाँ था अब यहाँ हूँ

मगर सुन लो मैं बंजारा नहीं हूँ।।


किसी के काम भी मैं आ न पाऊँ

मैं इतना दोस्त नाकारा नहीं हूँ।।


है मेरा नाम लिखा रोशनी में

मैं जलता हूँ मगर तारा नहीं हूँ।।


पिघल जाऊंगा बन कर मोम जैसा

अभी इतना भी बेचारा नहीं हूँ।।


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