उस बिल्ली को जिस बंदर से
जितना अधिक रहा है मतलब
उस बंदर के सम्मुख बिल्ली
उतना रम कर नाचा करती
बिल्ली की तो यही प्रकृति है
अपना हित ही बांचा करती।।
बंदर सब भोले भाले हैं
रोटी की खातिर लड़ जाते
शातिर बिल्ली देख रही है
नादां ये भी समझ न पाते
बांट बराबर कर पड़ले का
न्याय दिला देगी दोनों को
ऐसा कह कर मौसी बिल्ली
बंदर के संग झांसा करती
बिल्ली की तो यही प्रकृति है
अपना हित ही बांचा करती।।
जो जितना झांसे में आया
उतना रक्त दान कर आया
कोई धन से लुटा खूब
अरु कोई तन मन तक दे आया
गले लगाती है जग भर को
लेकिन अंतस अभिशापित है
इसीलिए अपनत्व दिखा कर
बिल्ली "सबको" काटा करती
बिल्ली की तो यही प्रकृति है
अपना हित ही बांचा करती।।
बड़ी बड़ी बातों के पीछे
छिछले छिछले कर्म किए हैं
धर्म धर्म की माला जप कर
उसने सभी अधर्म किए हैं
मीठा बोल घोलती है विष
उसकी प्रकृति सदा से ऐसी
रिश्ते नाते और मित्रता
सबमें स्वार्थ तलाशा करती,
बिल्ली की तो यही प्रकृति है
अपना हित ही बांचा करती।।
जब तक रोटी नहीं मिली वो
तब तक बंदर की मौसी थी
मिला नहीं यदि लक्ष्य उसे तो
पगली होती मुंह झौँसी थी
अपना अपना राग अलापे
उसे नहीं थी फिक्र किसी की
बस अपना हित पूरा होते
वो जग भर को टाटा करती
बिल्ली की तो यही प्रकृति है
अपना हित ही बांचा करती।।
सभी बंदरों को सलाह है
अपने मन की आंखे खोलो
बिल्ली जो कुछ भी कहती है
करने से पहले तुम तौलो
उसके जैसी प्रकृति सुनो तुम
कभी नहीं अपनाना क्योंकि
बिल्ली तो अपना थूका ही
अक्सर वापस चाटा करती
बिल्ली की तो यही प्रकृति है
अपना हित ही बांचा करती।।

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