मम अंतर्नाद

मम अंतर्नाद
मेरा एकल ग़ज़ल संग्रह

मंगलवार, 17 जनवरी 2023

मां कैकेयी दुःखी न होना





गर्व करेंगे मैया इक दिन सब तेरी कुर्बानी पर 

मां कैकेयी दुःखी न होना तुम जग की नादानी पर।।


तुमने राम अनुग्रह सुन कर

अपने पर अभियोग लिया

पुत्र पति परजा सब ही का

जीवन भर प्रतियोग लिया


सब कुछ खोकर प्रश्न न पूछा क्यों प्रभु की मनमानी पर 

मां कैकेयी दुःखी न होना तुम जग की नादानी पर।।


जग बस उतना ही पढ़ पाया 

जितनी उनकी क्षमता थी,

उन्हें दिखा बस कोप भवन

पर दिखी न तेरी ममता थी


तुझ पर यूं आरोप लगाते स्वेद न था पेशानी पर 

मां कैकेयी दुःखी न होना तुम जग की नादानी पर।।


मानस के नित पाठ किए पर

मानस को सुन पाए नहीं

राम रचयिता हैं रचना के 

सत्य कभी गुन पाए नहीं 


सब आए किरदार निभाने, निर्देशक की बानी पर

मां कैकेयी दुःखी न होना तुम जग की नादानी पर।।


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