झूठे लोगों ने लिखी है
सत्य कथाएं कितनी बार।।
सत्य यही है जो बिनते हैं
हर पल ही असत्य के धागे
वही बढ़े है लिए सफलता
कर्म मार्ग पर आगे आगे
झूठे प्रेमी को मिलता है
इस जग में बस सच्चा प्यार
झूठे लोगों ने लिखी है
सत्य कथाएं कितनी बार।।
जिसने किए कुकर्म उसे
इस जग ने शीश बिठाए रक्खा
जिसके पास भरी थी माया
कंधों उसे उठाए रक्खा
इससे ज्ञात हुआ अधमी के
अवगुण भी जग को स्वीकार
झूठे लोगों ने लिखी है
सत्य कथाएं कितनी बार।।
नंगे बदन घूमता जो ऋषि
उस पर आरोपों का जाल
सत्य बोलने वालों की ही
खिंच जाती है अक्सर खाल
शायद इसीलिए इस युग में
राम कृष्ण की होती हार
झूठे लोगों ने लिखी है
सत्य कथाएं कितनी बार।।

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