फंसे हुए की क्या मजाल है
अरे बुरा हाल है
ये जीवन इक मकड़जाल है........
फंदों के बाज़ारवाद में
जो भी फंसा निकल ना पाया,
उलझा लेता है खुद में यह
इसकी अय्यारों सी माया
दिखने में तो सहज सरल है
पर भीतर से इंद्र जाल है
अरे बुरा हाल है
ये जीवन इक मकड़जाल है........
दिखने में नौलखे हार सा
किंतु घोंटता दम रहता है
सुख की नदिया से ज्यादा
इसमें दुख का लावा बहता है
फिर भी सबको यही चाहिए
कैसा ये देखो कमाल है
अरे बुरा हाल है
ये जीवन इक मकड़जाल है........
लीलाधर ने लीला करके
अद्भुद ये संसार बनाया
बड़े और छोटे से छोटे
कण में अपना बिंब बसाया,
जिसको बाहर ढूंढ रहा तू
मन में वो तेरे, कृपाल है
अरे बुरा हाल है
ये जीवन इक मकड़जाल है.......
फंसे हुए की क्या मजाल है
अरे बुरा हाल है
ये जीवन इक मकड़जाल है........

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