मम अंतर्नाद

मम अंतर्नाद
मेरा एकल ग़ज़ल संग्रह

शुक्रवार, 15 दिसंबर 2023

भोली थी वो लड़की जिसने


इक शायर का लिखा हुआ पढ़

अपना सब कुछ वार दिया था 

भोली थी वो लड़की जिसने

इक शायर से प्यार किया था............


पहले पहल शेर पढ़ कर जब

उसके दिल ने शोर किया था

एक झलक भर पा लेने का

हर प्रयत्न पुरज़ोर किया था

नंबर ढूँढा और मिला कर, अधरों को हर बार सिया था 


भोली थी वो लड़की जिसने

इक शायर से प्यार किया था............


कोई बहाना तो चहिये था

जिससे उस तक वो जा पाती

उसके जैसा बन जाना था

शायद तभी उसे वो भाती

अपने सब रंग त्याग दिए थे, उसका हर रंग धार लिया था


भोली थी वो लड़की जिसने

इक शायर से प्यार किया था............


गीतों की गंगा ने अपना

रस्ता बदला मंज़िल बदली

ग़ज़ल बन सके इसकी ख़ातिर

त्यागी सब तासीरें असली

उसने अपना सत्य समूचा पूर्णतया ही हार दिया था


भोली थी वो लड़की जिसने

इक शायर से प्यार किया था............


शायर था वो उसे प्रेरणा

उस पगली से कब तक मिलती

कब तक उसके मन की कलिका 

उसको देख देख कर खिलती 

चंद शेर कुछ नज़्में लिख, शायर ने उसे बिसार दिया था 


भोली थी वो लड़की जिसने

इक शायर से प्यार किया था............


सदा असंभव रहा शाख से

गिर कर पुनः वहाँ जुड़ पाना

अपने गुण धर्मों को तज कर

भला किसे कब मिला ख़ज़ाना

सदा डूबता दिखा वही जिसने खर को पतवार किया था 


भोली थी वो लड़की जिसने

इक शायर से प्यार किया था...........

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