जुनून ए इश्क़ मुझमें पूरा उतर जाने दे
मैं तेरे प्यार में मर जाऊँ तो मर जाने दे
ज़ख़्म मरहम के नहीं मुंतज़िर रहे मेरे
इनको तू अपनी छुअन भर से ही भर जाने दे।।
तुम्हें फ़राग मुबारक मुझे ये बेसब्री
अब मेरी तिश्नगी को हद से गुज़र जाने दे।।
तमाम उम्र जिन्हें हमने छिपा कर रखा,
सामने आके तू वो दर्द उभर जाने दे।।
तुझको गर देखना है कैसी हूँ तन्हाई में
फ़िर मुझे यार मेरे खुल के बिखर जाने दे।।
मैं ख़ुद को ढूँढने में रस्ते से बे रस्ता हुआ
अब मेरे साथ है तू, अब तो सुधर जाने दे।।
सासरे में हूँ, ये लगता है,देख कर दुनिया
अब तो मुझको तू वालिदैन के घर जाने दे।।
ओ मेरे कृष्ण सर पे हाथ रख के आज ज़रा
इस स्वधा को भी तू राधा सा सँवर जाने दे।।