मम अंतर्नाद

मम अंतर्नाद
मेरा एकल ग़ज़ल संग्रह

शुक्रवार, 1 मार्च 2024

मर जाने दे





जुनून ए इश्क़ मुझमें पूरा उतर जाने दे

मैं तेरे प्यार में मर जाऊँ तो मर जाने दे


ज़ख़्म मरहम के नहीं मुंतज़िर रहे मेरे

इनको तू अपनी छुअन भर से ही भर जाने दे।। 


तुम्हें फ़राग मुबारक मुझे ये बेसब्री

अब मेरी तिश्नगी को हद से गुज़र जाने दे।। 


तमाम उम्र जिन्हें हमने छिपा कर रखा, 

सामने आके तू वो दर्द उभर जाने दे।। 


तुझको गर देखना है कैसी हूँ तन्हाई में

फ़िर मुझे यार मेरे खुल के बिखर जाने दे।। 


मैं ख़ुद को ढूँढने में रस्ते से बे रस्ता हुआ

अब मेरे साथ है तू, अब तो सुधर जाने दे।। 


सासरे में हूँ, ये लगता है,देख कर दुनिया

अब तो मुझको तू वालिदैन के घर जाने दे।। 


ओ मेरे कृष्ण सर पे हाथ रख के आज ज़रा

इस स्वधा को भी तू राधा सा सँवर जाने दे।। 


शुक्रवार, 15 दिसंबर 2023

भोली थी वो लड़की जिसने


इक शायर का लिखा हुआ पढ़

अपना सब कुछ वार दिया था 

भोली थी वो लड़की जिसने

इक शायर से प्यार किया था............


पहले पहल शेर पढ़ कर जब

उसके दिल ने शोर किया था

एक झलक भर पा लेने का

हर प्रयत्न पुरज़ोर किया था

नंबर ढूँढा और मिला कर, अधरों को हर बार सिया था 


भोली थी वो लड़की जिसने

इक शायर से प्यार किया था............


कोई बहाना तो चहिये था

जिससे उस तक वो जा पाती

उसके जैसा बन जाना था

शायद तभी उसे वो भाती

अपने सब रंग त्याग दिए थे, उसका हर रंग धार लिया था


भोली थी वो लड़की जिसने

इक शायर से प्यार किया था............


गीतों की गंगा ने अपना

रस्ता बदला मंज़िल बदली

ग़ज़ल बन सके इसकी ख़ातिर

त्यागी सब तासीरें असली

उसने अपना सत्य समूचा पूर्णतया ही हार दिया था


भोली थी वो लड़की जिसने

इक शायर से प्यार किया था............


शायर था वो उसे प्रेरणा

उस पगली से कब तक मिलती

कब तक उसके मन की कलिका 

उसको देख देख कर खिलती 

चंद शेर कुछ नज़्में लिख, शायर ने उसे बिसार दिया था 


भोली थी वो लड़की जिसने

इक शायर से प्यार किया था............


सदा असंभव रहा शाख से

गिर कर पुनः वहाँ जुड़ पाना

अपने गुण धर्मों को तज कर

भला किसे कब मिला ख़ज़ाना

सदा डूबता दिखा वही जिसने खर को पतवार किया था 


भोली थी वो लड़की जिसने

इक शायर से प्यार किया था...........

शनिवार, 12 अगस्त 2023

रे मन नई दिशा में दौड़




रे मन नई दिशा में दौड़

पुराने सारे रस्ते छोड़..


काहे अब तक लेकर बैठा

है तू कष्ट पुराने

बढ़ा रहा है दुःख की गठरी

जाने और अजाने

नदिया की ही भांति राह के 

पत्थर से मुंह मोड़


रे मन नई दिशा में दौड़

पुराने सारे रस्ते छोड़..........


युद्ध क्षेत्र में आया है तो

युद्ध तुझे करना है

मन को विकल नहीं करना 

नित ऊर्जा से भरना है

चाहे कैसी स्थितियां हों

मत बनना रणछोड़


रे मन नई दिशा में दौड़

पुराने सारे रस्ते छोड़..........


नियति और प्रारब्ध सत्य पर

कर्म प्रधान रहा है

गीता में देवेश्वर ने यह 

लाखों बार कहा है

कर्म मार्ग पर चल यदि तुझको

बनना है बेजोड़


रे मन नई दिशा में दौड़

पुराने सारे रस्ते छोड़..........


शुक्रवार, 14 जुलाई 2023

भरम यह छोड़ दे छोटे सितारे⭐

 

बड़े लोगों ने यह तय कर लिया है,

बड़े लोगों को ही वह मान देंगे,

मगर छोटे लगे हैं उनके पीछे,

इस आशा में कि वे पहचान देंगे.....

भरम यह छोड़ दे छोटे सितारे⭐

तुझे ये अपना आसमान देंगे........


बहुत डर में हैं अब अस्तित्व इनके

बचाना ये स्वयं को चाहते हैं

मगर गिरते हुए ये पेड़ अक्सर

नए पौधों पे मिट्टी डालते हैं

जो खुद ही दर्द में डूबे हुए हैं

वो तुझको किस तरह दिरमान देंगे


भरम यह छोड़ दे छोटे सितारे⭐

तुझे ये अपना आसमान देंगे........


है कस्तूरी तुम्हारी नाभि में ख़ुद

क्यों उसको ख़ुद से बाहर ढूंढता है

महक अपनी बढ़ाने के लिए तू

किसी की चरण रज क्यों चूमता है

जो तुझको ही गिराना चाहते हैं

भला क्यों वे तुझे सम्मान देंगे


भरम यह छोड़ दे छोटे सितारे⭐

तुझे ये अपना आसमान देंगे........


विखंडन संलयन खुद में बढ़ा दे

तू तप कर सूर्य खुद बन कर दिखा दे

किसी से मांग कर पहचान अपनी

न खुद को अपनी नजरों में गिरा दे

तुझे अपने हवन का फल भला क्यों

ये कलयुग के युगी यजमान देंगे


भरम यह छोड़ दे छोटे सितारे⭐

तुझे ये अपना आसमान देंगे........



गुरुवार, 6 जुलाई 2023

जब समझ आ जाए अच्छा......

 🙋🙋🙋🙋🙋🙋🙋🙋


देर से आए या जल्दी 

जब समझ आ जाए अच्छा......


भाव की गंगा में गोते हो लगाते, तो लगाओ

किंतु यह भी देख लेना , खुद को ही मत भूल जाओ

जो तुम्हारे बन तुम्हें जीवन कि राहों पर मिलेंगे

वो ही तुमको छोड़ देंगे वो ही इक दिन फिर छलेंगे

सत्य यह तुम हो अकेले जब समझ आ जाए अच्छा


देर से आए या जल्दी 

जब समझ आ जाए अच्छा......


तुम हंसोंगे जब तलक यह सृष्टि सारी साथ होगी

यंत्रणाओं के भंवर में बस विविक्ता साथ होगी

साथ है संसार लेकिन, कब तलक यह साथ होगा

कब तलक इन प्रिय जनों का हाथ तेरे हाथ होगा

एक दिन सब छूट जाना जब समझ आ जाए अच्छा 


देर से आए या जल्दी 

जब समझ आ जाए अच्छा......


तुम वृहद होना विचारों से , नहीं संक्षिप्त होना

एक साधक की तरह सब देखना मत लिप्त होना

जो तुम्हारा है तुम्हारे आप में ही आप्त है वह

जन्म से है साथ तेरे , मोक्ष तक भी प्राप्त है वह 

नाव की पतवार है वह जब समझ आ जाए अच्छा


देर से आए या जल्दी 

जब समझ आ जाए अच्छा......


🙋🙋🙋🙋🙋🙋🙋🙋