माँ भगवती वरदान में ,
हमको सदा उत्थान दो,
सब तम हरो जीवन का तुम,
हमको प्रकाश और ज्ञान दो।
गंगा प्रवाहित हो सदा,
नव ओज की , संकल्प की
कोई व्यथा ना हो कभी ,
ना हो जगह विकल्प की
तुम प्रेरणा का स्रोत बन ,
मुझको जगत में मान दो।
माँ भगवती वरदान में ,
हमको सदा उत्थान दो।
यश सूर्य सा फैले मेरा
वो कर्म दो वरदान में,
जीवन महकता पुष्प सा,
चलता है सम्मान से,
तुम पथ प्रदशित कर मेरा
मुझको सकल वरदान दो।
माँ भगवती वरदान में ,
हमको सदा उत्थान दो।
श्वेताम्बरी तुम श्वेत निर्मल
मन चरित्र प्रदान दो,
सब दम्भ द्वेष अशुद्धियां
जीवन से पुनः मिटार दो
सबके हितों में रत रहूं
ऐसा मुझे व्यहवार दो।
माँ भगवती वरदान में ,
हमको सदा उत्थान दो।
स्वधा रवींद्र "उत्कर्षिता "

प्रातः वंदन ......सुंदर रचना
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