मम अंतर्नाद

मम अंतर्नाद
मेरा एकल ग़ज़ल संग्रह

शुक्रवार, 30 अगस्त 2019

भगवती वंदना






हे सरस्वती सुन लो मेरे 
मन के सारे उद्गार आज,
हे पद्माक्षी हे शिवानुजा 
कर दो मेरा उद्धार आज,
हे मातभवानी महाभुजा , 
मेरी भुजाओं में बल भर दो,
हे दिव्यांगी क्षणभंगुर काया 
को मेरी परहित कर दो,
हे सुरवंदिता वैष्णवी तुम 
आ करके कंठ विराज रहो,
हे चंद्रवदन चन्द्रिका,
चन्द्रलेखाविभूषिता साथ रहो,
हे शुभदा सौम्या वाराही 
सौम्यता मुझे दे दो अपनी,
हे रमा महाविद्या शारद 
गूढ़ता मुझे दे दो अपनी,
हे हंसवाहिनी जगती तुम 
वरदायनी हो वरदान तो दो,
हे चंद्रकांति भुवनेश्वरी तुम 
इस धरती पर सम्मान तो दो,
हे सर्वप्रिया विद्यारूपा, 
विद्या का मुझको दान करो,
हे त्रिगुणा स्वरात्मिका देवी 
मेरा भी अब कल्याण करो,
हे शत्रुनाशिनी मित्रदायनी 
कोई शत्रु न हो मेरा,
हे प्रेम प्रदायिनी माता मन हो 
मेरा प्रेम भरा डेरा,
हे बुद्धिदात्री तुम हमको 
वर दो प्रबुद्ध हम हो जाएं,
हे ब्रह्नसुता तेरे वर से 
सद्बुद्धि युक्त हो तर जाएं,
हे सुधामूर्ति माँ मन में मेरे 
सबके हित की अभिलाषा हो,
हे विमला विश्वा वाराही, 
मन तेरी भक्ति का प्यासा हो,
हे तीव्रा तीव्र बनूँ मैं भी, 
हे कांता कांति प्रदान करो,
हे परा कामरूपा मालिनी, 
शीतलता शांति प्रदान करो,
हे जगती हंसवाहिनी तुम 
इस धरती से अज्ञान हरो,
हे बुद्धिदात्री वागेश्वरी 
जग भर को बुद्धि प्रदान करो,
हे श्वेतानन हे नीलभुजा 
हे कामप्रदा हे निरञ्जना,
हे सर्वदेवस्तुता तुम्हारा वंदन 
शत शत महाबला,
हे चित्रम्बरा त्रिकालज्ञा 
जग भर के त्राण समाप्त करो,
हे वसुधा महाबला भामा तुम 
मनु हृदयों में व्याप्त रहो।

हे वसुधा महाबला भामा तुम मनु हृदयों में व्याप्त रहो।
हे वसुधा महाबला भामा तुम मनु हृदयों में व्याप्त रहो।




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स्वधा रवींद्र "उत्कर्षिता "

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