पतझड़ से तू क्यों घबराया करता है
बालों में क्यों रंग लगाया करता है।
इक दिन तो वैसे भी मर ही जाना है
फिर क्यों जीते जी मर जाया करता है।
अनुभव जीवन की अनुपम सच्चाई है
फिर क्यों इन से नयन चुराया करता है।
सुख दुख तो बस आने जाने वाले हैं
फिर क्यों इनसे यूँ घबराया करता है।
इस जीवन के बाद कहाँ पर जाना है
खुद को क्यों ये सोच सताया करता है।
पांच तत्व का मटका एक दिन फूटेगा
फिर क्यों इससे मोह जताया करता है।
पतझड़ से तू क्यों घबराया करता है
बालों में क्यों रंग लगाया करता है।

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