मम अंतर्नाद

मम अंतर्नाद
मेरा एकल ग़ज़ल संग्रह

शुक्रवार, 25 फ़रवरी 2022

ख़्वाब नए कुछ बो लेने दो

 ख़्वाब नए कुछ बो लेने दो,

फ़ोन तो रखो, सो लेने दो।।


ख़ुद से अब मिलना है हमको
थोड़ा तन्हा हो लेने दो।।

खारेपन से डर लगता है
थोड़ा सा ही रो लेने दो।।

कुछ सफेदपोशों को छुआ है
हाथ ज़रा तुम धो लेने दो।।

पूरी दुनिया नहीं घूमनी
हमको हममे खो लेने दो।।

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