मम अंतर्नाद

मम अंतर्नाद
मेरा एकल ग़ज़ल संग्रह

सोमवार, 3 अक्टूबर 2022

एक गज़ल

 




उर्दू अदब के कायदे कानून जानकर

हम क्या करेंगे गीतों को ग़ज़लों में ढाल कर।। 


अब तक नहीं है याद हमें अपनी इबारत, 

फिर क्या मिलेगा लाम मीम को संभाल कर।। 


जो मेरा था नहीं, कभी भी, उसके हक में हम

अब क्या करेंगे आँख में कुछ सपने पाल कर।। 


जिसको नहीं है इल्म ज़रा सा भी त्याग का

हम क्यों बढ़ेगें उसकी तरफ दूजा गाल कर।। 


मिट्टी हैं एक रोज़ फ़िर से होना है मिट्टी

कूज़े पे जो चढ़े तो वो रख दे गा ढाल कर। 


जिसको भी बताओगे अपने दर्द ओ गम कभी

ये तय है कि जायेगा लौट गोलमाल कर।। 


हमने स्वधा को अपने ही भीतर छिपा लिया

अब कोई भी तोड़ेगा फ़िर इस्तमाल कर ।। 


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