मम अंतर्नाद

मम अंतर्नाद
मेरा एकल ग़ज़ल संग्रह

शुक्रवार, 30 अगस्त 2019

गीत :- कैसे गीत लिखूँ



हिमगिरि के उत्तुंग शिखर पर कैसे गीत लिखूँ,
दम्भ द्वेष व्यभिचार के युग में कैसे प्रीत लिखूँ,
हिमगिरि के उत्तुंग शिखर पर कैसे गीत लिखूँ।

रहा प्रतीक्षा रत मैं नित प्रति जिसकी राहों में,
सोचा था जीवन बीतेगा जिसकी बाहों में,
वो ही किसी और का हो तो कैसे मीत लिखूँ,

हिमगिरि के उत्तुंग शिखर पर कैसे गीत लिखूँ।

जब अपने ही खड़े सामने हो लड़ने खातिर,
जब अपने अवरोध बन रहे हो बढ़ने खातिर,
तुम ही बोलो उन्हें दुखी कर  कैसे जीत लिखूँ,

हिमगिरि के उत्तुंग शिखर पर कैसे गीत लिखूँ
दम्भ द्वेष व्यभिचार के युग में कैसे प्रीत लिखूँ
हिमगिरि के उत्तुंग शिखर पर कैसे गीत लिखूँ।





स्वधा रवींद्र "उत्कर्षिता"

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