शिवप्रार्थना
हे महादेव हे शिव शंकर,
आयी हूँ तेरे द्वार आज,
लेकर के ये विश्वास प्रभु,
पूरे कर दोगे सकल काज।
श्रीकंठ मांगती हूँ वर ये,
आकर तुम कण्ठ विराज रहो,
हे त्रिपुरान्तक तुम मन की सभी,
कलुषताओं के प्राण हरो,
हे विरुपाक्ष खोलो त्रिनेत्र,
दुष्टों का काम तमाम करो,
हे कृपानिधे, कठोर कवची,
अब भगतों का कल्याण करो।
है पुनः समय आया ऐसा ,
फिर से चाहिए अब तेरा राज।
हे महादेव हे शिव शंकर,
आयी हूँ तेरे द्वार आज,
लेकर के ये विश्वास प्रभु,
पूरे कर दोगे सकल काज।
हे सोम सूर्य अग्नि जैसे ,
लोचन वाले संताप हरो,
हे मृत्युंजय हे सूक्ष्म तनु,
इस दुनिया से व्यभिचार हरो,
हे रुद्र भूतपति व्योमकेश,
नवयुवकों में नव प्राण भरो,
सदमार्ग चुनें हर मानव अब,
ऐसा अनुपम तुम ज्ञान भरो,
इस कलयुग के मस्तक पर फिर,
शशिशेखर आकर तू विराज।
हे महादेव हे शिव शंकर,
आयी हूँ तेरे द्वार आज,
लेकर के ये विश्वास प्रभु,
पूरे कर दोगे सकल काज।
हे गंगाधर हे शूलपाणि,
तुम अपने भक्त तरो सारे,
हे पाश विमोचन ,अष्टमूर्ति,
तुम सबके सब पाप हरो सारे,
हे अव्यय शाश्वत जगतगुरु,
कैवल्य मोक्ष देने वाले,
हे रुद्र अनघ हे पंचवक्त्र,
हर पाप ताप हरने वाले,
हे कालजयी इस कलुषित जग को,
तू दे दे सच्चा समाज।
हे महादेव हे शिव शंकर,
आयी हूँ तेरे द्वार आज,
लेकर के ये विश्वास प्रभु,
पूरे कर दोगे सकल काज।
नटराज करो तांडव ऐसा,
ये सृष्टि सन्तुलित हो जाये,
छल दम्भ द्वेष आतंक क्रोध,
मानव जीवन से खो जाए,
हे भस्म रमाने वाले जोगी,
योगी योग प्रदान करो,
इस धरती पर बसने वालों,
के दुःख के तुम्हीं निदान करो,
तुम ही हो शाश्वत सत्य सुंदरम,
फैलाने वाले धिराज,
हे महादेव हे शिव शंकर,
आयी हूँ तेरे द्वार आज,
लेकर के ये विश्वास प्रभु,
पूरे कर दोगे सकल काज।
स्वधा रवींद्र "उत्कर्षिता"

शिव शंकर शम्भू आप पर कृपा बनाएं रखें
जवाब देंहटाएंto see today's generation writing such good shiv stuti is a delight in itself....bilkul divine.
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