तितली थी, पर बन के शेरनी, मैदानों पर छाई है
हाथ लिए बल्ला और कंदुक सबके मन को भाई है
उन्नीस सौ चौवन में जन्मी चेहरे पर उत्साह लिए
बचपन से ही मन मे अपने सपनों का आकाश लिए
वो था करना, जो कोई भी ,कभी नहीं था कर पाया
भय का एक अंश भी इनके हिस्से कभी नहीं आया
चेहरे पर ही लिखा था इतिहास बनाने आयी हैं
तितली थी पर बन के शेरनी मैदानों पर छाई है।
हरे भरे मैदान में जब वो बल्ला लेकर आती हैं
पिच पे अपने पैर जमा वो अंगद सी डट जाती हैं
बड़ा कठिन था उनका फिर बिन लक्ष्य भेद वापस आना
कर दिखलाती थी वो सब कुछ जो भी था उनने ठाना
भारत माँ की इस बेटी की सबने कथा सुनाई है
तितली थी पर बन के शेरनी मैदानों पर छाई है।
सोलह टेस्ट मैचों में औसत सात सौ रन की पारी है
एकदिवस वाले मैचों में भी ये सबपर भारी है
हरफन मौला लोग सदा से ही इनको बतलाते हैं
कैप्टनशिप में कोई न इन सा ये भी राग सुनाते हैं
चेन्नई की बाघिनी शत्रु सेना पर फिर गुर्राई है
तितली थी पर बन के शेरनी मैदानों पर छाई है।
पूरा जीवन किया समर्पित शांता ने मैदानों को
नीले रंग के पंख लगा चिड़िया उड़ गई ठिकानों को
बैट बाल पिच विकेट बन गए आभूषण सज जाने को
रंगा अब तैयार खड़ी थी नई राह बढ़ जाने को
ले संन्यास क्रिकेट दुनिया से , अब वो फिर मुस्काई हैं
तितली थी पर बन के शेरनी मैदानों पर छाई है।
पूरा जीवन किया समर्पित भारत माँ के चरणों में
रंगा ने रंग दिया भाल माँ का अपने ही करणों से
मिले अवार्ड न जाने कितने, कितनों ने सम्मान किया
भारत माँ की इस बेटी ने सकल विश्व मे नाम किया
बढ़ा मां भारत माँ का ये बिटिया शीश झुकाई है
तितली थी पर बन के शेरनी मैदानों पर छाई है।
तितली थी, पर बन के शेरनी, मैदानों पर छाई है
हाथ लिए बल्ला और कंदुक सबके मन को भाई है

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