गीत
पिंजरा सजावे काहे सजनी बतावा
सुआ मन सून पड़ा है
पिया से मिलन की आस संजोए
जाने की देखो अड़ा है
खुद से लड़ा है आज खुद से लड़ा है
पी से मिलन को खड़ा है।
पिंजरा न नीला पीला लाल रँगाओ
गोदना न ओह पे गोदाओ
सखी री सुनो बात देर भई है बड़ी
अब पी से मिलन को जाओ।
अपना भाग जगाओ
अपना भाग जगाओ
पी की लगन जो लगाई मन ने तो
मनवा ये हीरों जड़ा है
पिंजरा सजावे काहे सजनी बतावा
सुआ मन सून पड़ा है।
पिया जिस रंग के हैं ,ओ ही रंग कर दो
ए रंगरेज़ हमार चुनरिया
धानी ना, केसरिया ना , लाल न पीली
बनूँ मैं श्यामल सी गुजरिया
ऐसो रंग बनाओ
ऐसो रंग बनाओ
कि रंग जामे रंग के वो अपना न रह जाये
रंग वो ही सबसे बड़ा है
पिंजरा सजावे काहे सजनी बतावा
सुआ मन सून पड़ा है।
लेके फिरे संग पाँच रंग हड़िया
जाए तो हड़िया फूटे
रंग मिले सारे अपने ही रंग में
दुनिया से नाता भी टूटे
जाते समय हमें ऐसे सजाओ
जाते समय हमें ऐसे सजाओ
मन छूटे जामे जकड़ा है
पिंजरा सजावे काहे सजनी बतावा
सुआ मन सून पड़ा है।

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