होली गीत
मैं तो श्याम रंग में रंग गई
दिदिया मैं तो जोगन बन गयी।
अम्मा मुझे पुकार रहीं है
सखियां बाँट निहार रही हैं
मेरी सब अपनों से ठन गयी
दिदिया मैं तो जोगन बन गयी।
सावन आया पर ना भाया
झूले बैठी मन मुरझाया
मैं तो विरहन बन कर तन गयी
दिदिया मैं तो जोगन बन गयी।
खुला किवाड़ा छोड़ रही हूँ
इक इक ग्यारह जोड़ रही हूँ
मैं तो उनकी माट में सन गयी
दिदिया मैं तो जोगन बन गयी।
नीला पीला लाल सुनहरा
भाए न मुझको अब रंग गहरा
पी से जबसे अकेले मिलन गयी
मैं तो श्याम रंग में रंग गई
दिदिया मैं तो जोगन बन गयी।

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