मम अंतर्नाद

मम अंतर्नाद
मेरा एकल ग़ज़ल संग्रह

शुक्रवार, 28 फ़रवरी 2020

गीत:-एक है अन्तर्ध्यान




दो शरीर हैं अपने, दिखता एक, एक है अन्तर्ध्यान
जैसे धारे शक्ति कृपानी ऊपर उसके रहती म्यान।

अंतर्मन की शक्ति, शक्तिशाली है ,बड़ी प्रभावी है
कर्मठ हो कर , ध्येय साधने वाला, विजयी भावी है
वो पाता है ज्ञान लगाए जो अर्जुन सा ध्यान

दो शरीर हैं अपने, दिखता एक, एक है अन्तर्ध्यान
जैसे धारे शक्ति कृपानी ऊपर उसके रहती म्यान।

सुख मुद्रा में बैठ ,हाथ पर हाथ धरे, कर आँखे बंद
साँसों की माला पे जप ले राम नाम के अनुपम छंद
राम नाम ही पार उतारे, भव सागर जब हो अभियान

दो शरीर हैं अपने, दिखता एक, एक है अन्तर्ध्यान
जैसे धारे शक्ति कृपानी ऊपर उसके रहती म्यान।

दर्शन कहता गीता का बस एक कर्म ही करना है
अपने अंदर झांक, स्वांस की लय पर तुझको चलना है



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