मम अंतर्नाद

मम अंतर्नाद
मेरा एकल ग़ज़ल संग्रह

शनिवार, 15 फ़रवरी 2020

गीत:-प्रेम ही लक्ष्य है

गीत



तुम हमारे हो या हो किसी और के
बात छोटी है ये फर्क पड़ता नहीं
प्रेम ही मार्ग है प्रेम ही लक्ष्य है
इसपे कोई नया रंग चढ़ता नहीं।

प्रेम वो है कि जिसमें सदा आँख नम
और सदा ही हृदय मुस्कुराता हुआ
प्रेम वो है कि जिसमें छुआ ना गया
किंतु मन प्राण सब सरसराता हुआ
प्रेम पथ जो पथिक बढ़ गया वो कोई
और रस ,गीत में दोस्त गढ़ता नहीं

प्रेम ही मार्ग है प्रेम ही लक्ष्य है
इससे आगे कोई सत्य पड़ता नहीं।

प्रेम मीरा ने विष पी किया श्याम से
प्रेम में उर्मिला सोई वर्षों नहीं
प्रेम में डूब कर मर गयी सोहनी
प्रेम की राह पर जीत बोई नहीं
संग हो या विरह जीत या हार हो
दोष वो पी के सर कोई मढ़ता नहीं

प्रेम ही मार्ग है प्रेम ही लक्ष्य है
इससे आगे कोई सत्य पड़ता नहीं।

राम वन को गए अनुगमन बन गयी
विश्व भर के लिए वो चलन बन गयी
यदि पिया माँगती बेटियाँ राम सा
बेटों की मनप्रिया भी सिया बन गयी
राह कांटों भरी या फूलों भरी
प्रेम पथ जो चला फर्क पड़ता नहीं

प्रेम ही मार्ग है प्रेम ही लक्ष्य है
इससे आगे कोई सत्य पड़ता नहीं।




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