मम अंतर्नाद

मम अंतर्नाद
मेरा एकल ग़ज़ल संग्रह

रविवार, 9 फ़रवरी 2020

गीत :- दुधमुंहा बच्चा



वो दुधमुहाँ बच्चा
समझता है 
कि किसने प्रेम से 
उसको छुआ है
कौन माँ है कौन चाची
कौन मामी कौन बुआ है

वो दुधमुहाँ बच्चा
समझता है 
कि किसने प्रेम से 
उसको छुआ है।

वो दुधमुहाँ बच्चा 
पकड़ लेता है उँगली
छोटी छोटी उंगलियों से
और अपलक देख कर
वो मांगता है स्नेह का 
उपहार सबसे
चाहता है हर कोई गोदी उठाये
और देकर लाड़ उसको
बोल दे सारी धरा से 
ये मेरी मांगी दुआ है

वो दुधमुहाँ बच्चा
समझता है 
कि किसने प्रेम से 
उसको छुआ है।

है उसे हर कोई भाता
दूध देता जो खिलाता
जब भी आती दूध वाली
बाल्टी संग झूल जाता
बन हठी वो मांगता सब
पा खुशी से फूल जाता
और लगा कर दुग्ध में मुख
बोलता मन खुश हुआ है

वो दुधमुहाँ बच्चा
समझता है 
कि किसने प्रेम से 
उसको छुआ है।


देख कर सूरज मसलता है 
कभी वो आंख अपनी
और कभी ठंडी रजाई 
पैर से वो फेंकता है
रोता है हर भावना पे 
और कभी है मुस्कुराता
माँ की छाती से लिपट कर
वो स्वयं को सेंकता है
बोलता सा मौन लेकर
उसने भावों को छुआ है

वो दुधमुहाँ बच्चा
समझता है 
कि किसने प्रेम से 
उसको छुआ है।

वो दूधमुहाँ बच्चा
उलटकर दूध जब जब फेंकता है
माँ की विवश आंखों को
भूखा और प्यासा देखता है
जानता है वो कि केवल 
एक ये ही देह जिसको है उसी से नेह
उसकी भूख को महसूस करके
बोलती है
छाती भरा है दूध 
लल्ला कह रहा है भूख
ये अद्भुद नज़ारा अनछुआ है

वो दुधमुहाँ बच्चा
समझता है 
कि किसने प्रेम से 
उसको छुआ है।


है नहीं अनिभिज्ञ 
सच और झूठ से वो
है नहीं अनिभिज्ञ वो 
अच्छे बुरे से
है समझता मातु का 
वात्सल्य भी वह
और डरता है 
नुकीले से छुरे से
कांप उठता है वो 
अनजानी छुवन से
और भय खाता 
त्वचा का हर रुवां है

वो दुधमुहाँ बच्चा
समझता है 
कि किसने प्रेम से 
उसको छुआ है।

वो दुधमुहाँ बच्चा प्रकृति की 
दी हुई अनुपम कृति है 
आज जन्मा है मगर
अगले पलों की वो निधि है
वो ईश जैसा रूप लेकर
हर हृदय को हर रहा है
हर कोई लेता बलैयां
देख उसको तर रहा है
जिसने देखी मोहनी सूरत
वो उसका ही हुआ हूं

वो दुधमुहाँ बच्चा
समझता है 
कि किसने प्रेम से 
उसको छुआ है।










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