मम अंतर्नाद

मम अंतर्नाद
मेरा एकल ग़ज़ल संग्रह

रविवार, 9 फ़रवरी 2020

गीत:- प्यार का उत्सव दिया है


एक गीत:शारदा ने शारदा को प्यार का उत्सव दिया है


शारदा ने शारदा को प्यार का उत्सव दिया है
ज्ञान बुद्धि विवेक और सद्भाव का नव वर दिया है।

है लली परछाई माँ की , माँ सरीखे भाव उसके
माँ सरीखी लालिमा है , माँ सरीखे चाव उसके
वैष्णवी ने वैष्णवी को भावना से भर दिया है
प्रेम ,करुणा सत्य और सानिध्य का नव वर दिया है

शारदा ने शारदा को प्यार का उत्सव दिया है
ज्ञान बुद्धि विवेक और सद्भाव का नव वर दिया है।

सीखती हैं बेटियाँ सब संस्कारो को हृदय से
है मिटाती कष्ट अपनों का सदा पूरे हृदय से
भैरवी ने भैरवी को संवेदना से तर किया है
धैर्यता, दृढ़ शक्ति, दॄढ विश्वास का सम्बल दिया है

शारदा ने शारदा को प्यार का उत्सव दिया है
ज्ञान बुद्धि विवेक और सद्भाव का नव वर दिया है।

एक दूजे पर किया विश्वास दोनों ने सदा ही
पुत्रियों ने हैं संभाली पीढ़ियों की वेदना भी
अम्ब ने फिर अम्ब को अनुभूतियों से तर किया है
लक्ष्य के प्रति नित्य उन्मुख अग्रसर कर तर दिया है

शारदा ने शारदा को प्यार का उत्सव दिया है
ज्ञान बुद्धि विवेक और सद्भाव का नव वर दिया है।







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