तुम्हे पाके जाना है मैने कि दुनिया में मैं तुमसे ज़्यादा प्यार किसी को नहीं करती। आज वैलेंटाइन डे पर जब कुछ लिखने को कहा गया तो लगा तुमसे अधिक आवश्यक मेरे लिए कुछ नहीं है।
तुम हो तो हम हैं।
ये अशीष बस तुम्हारे लिए।
भाग्य करे अनुगमन तुम्हारा
ऐसा है आशीष मेरा
शीश तेरे चमके ध्रुव तारा
ऐसा है आशीष मेरा
तुम बरगद के वृक्ष सरीखे
पनपो और विस्तार करो
चंदन के पेड़ों सी खुशबू
पर भी तुम अधिकार करो
आंगन की तुलसी बन जाओ
तुम घर भर से प्यार करो
इस तरह से पुत्र मेरे तुम
जीवन को वरदान करो
दूर रहें तुमसे विपत्तियाँ
ऐसा है आशीष मेरा
भाग्य करे अनुगमन तुम्हारा
ऐसा है आशीष मेरा।
तुम गंगा की धार बनो
जग भर के पापों को धो दो
तुम धरती पर सत्य प्रेम
मानवता के अंकुर बो दो
तुम विश्वास बनो हर मन का
हर विकार से दूर रहो
अच्छी राहों बढ़ कर भी
सद्कर्मो में चूर रहो
सूर्य सरीखी आभा तेरी
ऐसा है आशीष मेरा
भाग्य करे अनुगमन तुम्हारा
ऐसा है आशीष मेरा।
शिव का डमरू बनो और
जग भर को नृत्य कराओ तुम
आवश्यकता पड़ने पर बन त्रिशूल
फिर पाप मिटाओ तुम
भस्म लपेटे रहो ज्ञान की
चंद्र शक्ति का तुम धारो
दे तुमको वरदान स्वयं शिव
कभी न बालक तुम हारो
हो मस्तिष्क तुम्हारे शारद
ऐसा है आशीष मेरा
भाग्य करे अनुगमन तुम्हारा
ऐसा है आशीष मेरा।
जब बोलो तो जग प्रसन्न हो
मौन रहो सब रुक जाए
स्वर लहरियाँ उठें ग्रीवा से
सब सम्मुख हो झुक जाएं
तेरा हो सम्मान सदा
तू अनुपम अविजित अमोघ हो
तू मनमोहन सरल रहे
सघन विचारों को धारे हो
लेकिन फिर भी तरल रहे
अमृत हो तेरी वाणी में
ऐसा है अशीष मेरा
भाग्य करे अनुगमन तुम्हारा
ऐसा है आशीष मेरा।

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