ओ रंगरेज़ तूने कैसा रंगा है
उतने न कैसे भी ये रंग
चलने लगी मैं तेरे संग।
छुआ नहीं कभी मुझे
फिर कैसे रंग दिया
पिया ये बता दे कैसे
अपने सा ढंग दिया
जपती हूँ माला पिया
तेरे नाम की
कहते हैं लोग हुई मैं तो मलंग।
साँसे हैं गुलाबी मेरी
धड़कन लाल
श्वेत रंग अंग सजा
काले काले बाल
पहनी है पीली चूनर
तेरे नाम की
श्याम रंग देख हुई दुनिया ये दंग।
चुप भी रहा न जाये
कहा भी न जाये
दर्द लगे मीठा
कभी सहा भी न जाये
रूठे है सांसे मेरी
मुझसे पिया
देखा तुझे जो मैंने सौतन के संग।
ओ रंगरेज़ तूने कैसा रंगा है
उतने न कैसे भी ये रंग
चलने लगी मैं तेरे संग।

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