होली गीत
रसिया अबीर गुलाल न लाओ
मोहे अपने रंग सजाओ।
रे
रसिया झूला न डार डलाओ
मोहे बाहों में अपनी झुलाओ।
केसर तिलक लगा कर आओ
पीले वस्त्र अंग लिपटाओ
ओपे नीली छींट डलवाओ
लेके रंग गुलाबी आओ
रे
रसिया झूला न डार डलाओ.......मोहे अपने रंग सजाओ।
राह तक रही ब्रज की बाला
ले कर बैठी हैं वो ताला
ओ मैया तुम अपने ललन को छुपाओ
गोपियन से उन्हें बचाओ
रे
रसिया झूला न डार डलाओ.......मोहे अपने रंग सजाओ।
निकल गयो चोरी से कान्हा
रास रचाएं संग ब्रज बाला
नंदन वन में सब आओ
कान्हा को खूब रिझाओ
रे
रसिया झूला न डार डलाओ.......मोहे अपने रंग सजाओ।
देह पुरानी छूट रही है
पाप की गगरी फूट रही है
सब छोड़ो प्रभु को मनाओ
और अगला जन्म बनाओ
रे
रसिया झूला न डार डलाओ.......मोहे अपने रंग सजाओ।

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
आपकी अनमोल प्रतिक्रियाएं