मम अंतर्नाद

मम अंतर्नाद
मेरा एकल ग़ज़ल संग्रह

सोमवार, 9 मार्च 2020

होली गीत

होली गीत



रसिया अबीर गुलाल न लाओ
मोहे अपने रंग सजाओ।
रे
रसिया झूला न डार डलाओ
मोहे बाहों में अपनी झुलाओ।


केसर तिलक लगा कर आओ
पीले वस्त्र अंग लिपटाओ
ओपे नीली छींट डलवाओ
लेके रंग गुलाबी आओ
रे

रसिया झूला न डार डलाओ.......मोहे अपने रंग सजाओ।

राह तक रही ब्रज की बाला
ले कर बैठी हैं वो ताला
ओ मैया तुम अपने ललन को छुपाओ
गोपियन से उन्हें बचाओ
रे

रसिया झूला न डार डलाओ.......मोहे अपने रंग सजाओ।

निकल गयो चोरी से कान्हा
रास रचाएं संग ब्रज बाला
नंदन वन  में सब आओ
कान्हा को खूब रिझाओ
रे

रसिया झूला न डार डलाओ.......मोहे अपने रंग सजाओ।

देह पुरानी छूट रही है
पाप की गगरी फूट रही है
सब छोड़ो प्रभु को मनाओ
और अगला जन्म बनाओ
रे

रसिया झूला न डार डलाओ.......मोहे अपने रंग सजाओ।







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