मम अंतर्नाद

मम अंतर्नाद
मेरा एकल ग़ज़ल संग्रह

शुक्रवार, 30 जून 2023

बदली दिशा मगर रहा, लक्ष्य सदा शिव धाम

नीलकंठ बन कर लिया, उपेक्षाओं को थाम,

उपेक्षाओं को थाम, सदा ही हम मुस्काए,

लिखा भाग्य में जिसके जो वह वो ही पाए

मिला सदा सूखापन, कभी भी मिली न बदली

मगर राह पर चली, उसी के दिशा न बदली।।


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