मम अंतर्नाद

मम अंतर्नाद
मेरा एकल ग़ज़ल संग्रह

बुधवार, 16 अक्टूबर 2019

छंद मुक्त: अकेले मैं



कहीं दूर 
अकेली सड़क पर अकेली मैं
कहीं दूर
समंदर की तनहा लेहरों में 
अकेली नाव पर अकेली मैं
कहीं दूर
पहाड़ों की अकेली चोटी पर अकेली मैं
कहीं दूर
आसमान की ऊंचाइयों में 
एक अकेले तारे की खोज में
अकेली मैं।

हाँ छोड़ दो मुझे 
मैं कुछ पल बस 
खुद के पास होना चाहती हूँ
अकेले हँसना और 
अकेले दिल खोल के 
रोना चाहती हूँ।
हाँ मैं स्वयं को 
खोजना चाहती हूँ ।

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