मम अंतर्नाद

मम अंतर्नाद
मेरा एकल ग़ज़ल संग्रह

रविवार, 6 अक्टूबर 2019





रात भर 
तेरी ही आवाज़ 
कान में गूंजी
रात भर 
सपनों में बस 
तुम ही तुम
आबाद रहे
सोच लो 
किस तरह से 
रूह में शामिल थे तुम
सोच लो किस तरह से 
हममे सुबह शाम रहे
तुम कहीं भी रहो
पर जान लो तुम 
ये सच भी
तुम कहीं रह के भी 
बस सिर्फ
मेरे पास रहे।

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