मम अंतर्नाद

मम अंतर्नाद
मेरा एकल ग़ज़ल संग्रह

सोमवार, 16 सितंबर 2019

गीत :- मैं ध्रुव बन कर तड़पाऊँगा




मैं पंछी बन उड़ जाऊँगा
चिर निद्रा में सो जाऊँगा 
तुम मुझको अपना लो वरना
मैं दूर चला जाऊँगा

मैं पंछी बन उड़ जाऊँगा।

क्रंदन होगा सृंगार नहीं होगा मन में 
यदि मुझको कलरव का न तेरे गान मिला
मुझको दे दे ये दान नहीं तो जीवन का 
हर गान अधर पर ला कर मैं बतलाऊंगा

मैं पंछी बन उड़ जाऊँगा।

अनुभव की चक्की से जीवन को मत पीसो
बस वही करो जो ह्रदय तुम्हारा कहता है
एक ऐसा पल अन्यथा आएगा जीवन में 
जब अम्बर पर मैं ध्रुव बन कर तड़पाऊंगा

मैं पंछी बन उड़ जाऊँगा।





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