
हे विघ्न विनाशक एकदंत
तुम आज पाप का करो अंत
तेरे मस्तक पर साज रहे
नक्षत्र सूर्य और कोटि चंद्र
लंबोदर यह भी ध्यान रखो
भरने हैं तुम्हे उदर लाखों
एक बार त्याग कैलाश
माई की गोद इधर भी तुम झाँको
सुरभित कर दो ये सकल सृष्टि
वृष्टि से इसे बचा लेना
हे गणपति आँगन में मेरे
तुम अनगिन कुसुम खिला देना
तुम रिद्धि सिद्धि के पोषक हो
जग से हरना सारे प्रपंच
हे विघ्न विनाशक एकदंत
तुम आज पाप का करो अंत।
हे विघ्नहरण हे सदानंद
जीवन के विघ्न हरो सारे
हे महादेव सुत भक्तों के
आकर संताप हरो सारे
बच्चों को दो नव संस्कार
माँ और पिता का मान करें
गुरु की सेवा में रत हों नित
सबका हर पल सम्मान करें
सबको वह शक्ति प्रदान करो
देखे तो जग रह जाये दंग
हे विघ्न विनाशक एकदंत
तुम आज पाप का करो अंत।
कुर्सी पर बैठें लोगों को
सिद्धांत महामानव से दो
सब द्वेष कलुषता हर लो प्रभु
मानवता का विकास भी दो
हर अबला को सबला करके
तुम शक्ति सरीखा कर देना
लेखनियों में भी अग्नि सजा
तुम धर्म युध्द को बल देना
हे चंद्रभाल धारण करने वाले
कर दो इतना प्रबंध
हे विघ्न विनाशक एकदंत
तुम आज पाप का करो अंत।
तुम आज पधारे हो घर में
आये हो तो यह काम करो
तुम घर आँगन के साथ
हमारे मन मंदिर वास करो
आशीष शीश पर कर रख कर
तुम सबको नित्य प्रदान करो
अपनी समस्त शक्तियों से
तुम इस जग का उत्थान करो
इतना सार्थक कर दो जीवन
बच्चे हम पर लिख दें निबंध
हे विघ्न विनाशक एकदंत
तुम आज पाप का करो अंत।
स्वधा रवींद्र"उत्कर्षिता"
Ganpati bappa moriya
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