मेहंदी चटक हुयी है मेरी
नाक पे सेंदुर आया है
कहता है वो प्यार नहीं है
अब ये कैसी माया है।
अधरों से उसने मेरे माथे जब मोहर लगायी थी
तब कुमकुम की लाली हमने अपने भाल सजायी थी
भंगिमाओं के बीच नृत्य तब करने सूरज आया है
जब बिंदिया ने माथे पर सज मेरे भोर उगाया है
कहता है वो प्यार नहीं है
अब ये कैसी माया है।
धीमे से आकर जूड़े को जब था उसने खोल दिया
अब ना केश बँधेगे मेरे, मैंने भी ये बोल दिया
कंगन ने जब चूड़ी के संग अपना बैर निभाया है
तब पायल की छम छम ने मन का आँगन भरमाया है
कहता है वो प्यार नहीं है
अब ये कैसी माया है।
लहंगे ने भी लाली छोड़ी, चोली भी गुस्साई थी
चूनर ने जब उन दोनों से उल्टी रीत निभाई थी
जब छलिया ने छोड़ सकल छल मेरा मान बचाया है
तब जाकर मन पल्लव मेरा अंतस तक हर्षाया है
कहता है वो प्यार नहीं है
अब ये कैसी माया है।

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