मम अंतर्नाद

मम अंतर्नाद
मेरा एकल ग़ज़ल संग्रह

मंगलवार, 28 जून 2022

हमरे पीछे पड़ गए भैया


 



उनका कौनो मिला नाहिं तो 

हमरे पीछे पड़ गए भैया

दैया दैया दैया मोरी मैया मैया मैया


एक जरा सी बात कहिन हम 

उई उका का से का कर दिहिन

मक्खी जइसे बन कर चिपके

पूरा दिन हुई भिन भिन भिन भिन

हाथ जोर हम बिनती कीन्हे

पर उई चिपके जैस ततैया


दैया दैया दैया मोरी मैया मैया मैया।। 


सीधन के सब समझै भकुआ

ई दुनिया कै रीत पुरानी

जब तक सर पै छाँव रही 

हम तब तक ई सच जान न पानी

मिलत गए हंकवैया पल पल

बातन में फंस गयी चिरैया


दैया दैया दैया मोरी मैया मैया मैया।। 


जो जइसन है उनका वइसन 

ही व्यहवार दिखाया जाए

अंग्रेजी झाड़े वाले से

का हिंदी बतियाया जाए

जैसन देस भेस वैसन ही

समझ गयी उई नान्ह बिलइया


दैया दैया दैया मोरी मैया मैया मैया।। 


बदल लिहिस वह कपड़ा लत्ता

अंदर मीठी बाहर छत्ता

समझ गई पिछलग्गू मिलिहैं

रोज नई तरह से छलिहैं

ई कलयुग में आ ना पईहैं

रक्षा करने मोर कन्हैया


दैया दैया दैया मोरी मैया मैया मैया।। 


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