मम अंतर्नाद

मम अंतर्नाद
मेरा एकल ग़ज़ल संग्रह

शनिवार, 18 जून 2022

हार मिलेगी प्यार में


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सखी सुनो तुम बचकर रहना 

हार मिलेगी प्यार में

सारे लक्षण एक जैसे हैं 

तेरे मेरे यार में...... 


उसके हित की ख़ातिर

हर मंदिर में माथा टेकोगी

उदर और जिह्वा की खातिर

गर्म रोटियाँ सेकोगी

तुम उसके खाने के पहले 

कुछ भी ना खा पाओगी

जिस पथ पर वो जायेगा

तुम उस पथ कदम बढ़ाओगी

तुम ही बोलो क्या रखा है

अब ऐसे अनुचार में


सारे लक्षण एक जैसे हैं 

तेरे मेरे यार में...... 

सखी सुनो तुम बचकर रहना 

हार मिलेगी प्यार में


उसके दिये कष्ट भी सारे

मन से तुम अपनाओगी

उसके रस्ते के सब काँटे

पलकों से बिन लाओगी

अगर ज़रूरत पड़ी प्राण तक 

उसके हित में देदोगी

फ़िर भी ना समझा वो

तो बस मुस्का कर तुम रो दोगी

फ़िर भी ना समझे निर्मोही

क्या ऐसे अधिकार में


सारे लक्षण एक जैसे हैं 

तेरे मेरे यार में...... 

सखी सुनो तुम बचकर रहना 

हार मिलेगी प्यार में


तुम अपना सर्वस्व लुटा कर 

मौन खड़ी रह जाओगी

लेकिन प्रिय है हठी बहुत

यह तय है कुछ ना पाओगी

तुम प्रश्नों पर प्रश्न करोगी

वो बस चुप रह जायेगा

हिस्से में तेरे भी आली

केवल दुख ही आयेगा

लाभ नहीं है हानि लिखी है

केवल इस व्यापार में


सारे लक्षण एक जैसे हैं 

तेरे मेरे यार में...... 

सखी सुनो तुम बचकर रहना 

हार मिलेगी प्यार में


जान रहीं हूँ अली तुम्हें

मैं कुछ समझा ना पाऊँगी

चाहे अपना मर्म गीत 

मैं पुनः पुनः दोहराऊँगी

तुम जैसी हो वही रहोगी

सदा समर्पित प्रेम पगी

उसकी हित में दिन दिन मरती

रातों को बिन बात जगी

आयेगा ना कोई अंतर 

कभी तेरे इस प्यार में


सारे लक्षण एक जैसे हैं 

तेरे मेरे यार में...... 

सखी सुनो तुम बचकर रहना 

हार मिलेगी प्यार में


प्रेम वही है जिसमें समझ बूझ

का कोई काम नहीं

झुक कर भी यदि प्रिय मिल जाए

तो कोई अभिमान नहीं

तुम भी यही सोच रखती हो

जान रहीं हूँ मैं आली

इसीलिए बस छेड़ रही थी

तेरे प्रिय को दे गाली

सर्वाधिक आनंद मिला है

प्रिये मुझे इस हार में


सारे लक्षण एक जैसे हैं 

तेरे मेरे यार में......

सखी सुनो तुम बचकर रहना 

हार मिलेगी प्यार में


🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤

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