मम अंतर्नाद

मम अंतर्नाद
मेरा एकल ग़ज़ल संग्रह

बुधवार, 22 जून 2022

तज़रबा नया गढ़ना होगा!!



🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤

लोग कहते हैं कि लिखना है तो पढ़ना होगा

हमको लगता है तज़रबा नया गढ़ना होगा!!  

यूँ तो स्वेटर वो पुराना भी गरम कर देगा

नई डिज़ाइन जो चहिये तो उधड़ना होगा !! 

मंज़िलें यूँ ही नहीं मिलती हैं माँगे से कभी

कर्म की राह पे चल भाग्य से लड़ना होगा!! 

दूर रहने से भला आग कहाँ जलती है

आग के वास्ते पत्थर को रगड़ना होगा!! 

यूँ तो फैले हो फैल सकते हो इससे ज़्यादा

पर अगर छेद हो छोटा तो सिकुड़ना होगा!! 

मिलने को तुझको तो मिल जायेगा सबकुछ लेकिन

हीर बनने के लिए तुझको बिछड़ना होगा!! 

कृष्ण भी लौट आयेंगे तेरे बुलाने से

शर्त बस ये है तुझे प्रेम में कढ़ना होगा!! 

उसकी तकलीफ़ समझने के लिए तुझको भी

चंद लम्हों के लिए उस सा उजड़ना होगा!! 


तुमको सुकरात से है इश्क़ और मीरा सा जुनून

विष का प्याला तुझे फिर ख़ुद से ही गढ़ना होगा!! 


देख ले सोच ले आसान नहीं है ये स्वधा

उसको पाने के लिए ख़ुद से झगड़ना होगा!! 

🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

आपकी अनमोल प्रतिक्रियाएं