मम अंतर्नाद

मम अंतर्नाद
मेरा एकल ग़ज़ल संग्रह

बुधवार, 29 जून 2022

 एक मुक्तक


यही सत्य है इस धरती पर, अब बस यहाँ दिखावा होगा

मन पर लगे रहेंगे जाले, पर सुंदर पहनावा होगा

करने से ज्यादा बतियाना संस्कार में आ जायेगा

फ्रेंडशिप बैंड हाथ में होंगे, फेंका हुआ कलावा होगा।।

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