मम अंतर्नाद

मम अंतर्नाद
मेरा एकल ग़ज़ल संग्रह

रविवार, 26 जून 2022

आपन टाइम खोट करे




चला बतावा तुमही तोहसे झगरा कौन करे

काहे बैठल बैठल आपन टाइम खोट करे


बिना कुछौ जाने तुम बक बक की मसीन बन जात

अगड़म बगड़म कुछौ बकत हो, जाने का हो खात

तुम लिख दयो तो महाकाव्य है हम लिखें बकवास

तुम्हारा चावल चावल जैसा हमारा गीला भात


तुमका कछु समझा कर काहे बुद्धि मोट करे

काहे बैठल बैठल आपन टाइम खोट करे।। 


हम कुच्छौ लिख देयी, भले तुम उइका बूझ न पावो

पर बिन जाने बिन कछु समझे आपन टांग अड़ावो

दोस मढ़े मा तुमसे कौनो पार नहीं पा पावा

राम लला को रावन बोल्यो, कृष्ण को एक छलावा


तुमसे बहस करे में काहे लोटम लोट करे

काहे बैठल बैठल आपन टाइम खोट करे।। 


बड़बोले बस कहा करत हैं, सुनत नहीं कछु बात

उनके आगे कौनो की अब कोई ना औकात

छोटन का तो छोड़ो उई बड़कन का हड़कावत हैं

बात बात पर आपन कथा कहानी उई गावत है


बड़बोलन से काहे बोलो झोंटम  झोंट करे

काहे बैठल बैठल आपन टाइम खोट करे।।

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