मम अंतर्नाद

मम अंतर्नाद
मेरा एकल ग़ज़ल संग्रह

बुधवार, 10 अगस्त 2022

लड़के हो तुम



पीड़ा कितनी भी बढ़ जाए

नीर नयन से बाहर आयें

लेकिन तुम्हें कसम है तुम चिल्लाना मत

लड़के हो तुम रो रो अश्रु बहाना मत।। 



झिड़ में रहना इड़ में रहना ,सीधेपन से चिढ़ में रहना

तड़क भड़क रंगीन मिजाज़ी लेकर इगो इड में रहना

सबको ज़ीरो सदा समझना

खुद को हीरो मान गरजना

घर भर फैला भी हो तो तुम, उसको फ़िर सरियाना मत


लड़के हो तुम रो रो अश्रु बहाना मत।। 


भावनओं की गंगा को तुम कभी न बाहर आने देना

इमली, अमरक और बताशे ख़ुद को कभी न खाने देना

अपने मन की ही बस करना

दूजों का मन कभी न धरना

और अगर ना मन की हो तो छिप कर भी पिपियाना मत


लड़के हो तुम रो रो अश्रु बहाना मत।।


बचपन से ही सिखलाया है, तुमको वीर शिरोमणि बनना

चाहे कैसी भी स्थिति हो, झुकना मत तुम केवल तनना

झुक जाना ही कमज़ोरी है, 

लड़ने में कैसी चोरी है

चाहे कैसी भी स्थिति हो लेकिन तुम रिरियाना मत


लड़के हो तुम रो रो अश्रु बहाना मत।। 


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