मम अंतर्नाद

मम अंतर्नाद
मेरा एकल ग़ज़ल संग्रह

गुरुवार, 25 अगस्त 2022

एक मुक्तक

 

प्रेम चुंबक नहीं है प्रिये, एक उन्मुक्त आकाश है, 

जिसमें कोई भी चिंता न हो प्रेम कुछ ऐसा अवकाश है

जिसमें कितनी भी पीड़ा मिले किंतु मन मुस्कुराता रहे

प्रेम सबको छकाता फिरे ऐसा मीठा सा बदमाश☺ है।। 


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