गुड मॉर्निंग के उत्तर में जो गुड मॉर्निंग भी ना बोले
उससे दूर ज़रा रहिये जो राज़ हृदय के ना खोले
चाहे चखने में कितना भी मीठा हो वो फल लेकिन
उससे अच्छे इमली अमरक जो यादों के रस घोले
भावनाओं को करो समर्पित लेकिन बस उस मंदिर में
केवट शबरी और अहिल्या जिसके आँगन में डोले
जो अपनी ही हाँक रहें हों, उनसे रहना दूरी पर
उनसे तो बेहतर वो इंसा जो रहते है अनबोले
सुनना है तो सिर्फ सुना कर तू अपने दिल की आवाज़
काहे बेमतलब की बातों से भरता मन के झोले
जिसे चांद महबूब लगा हो, पाखंडी हो सकता है
मामा और रोटी जो देखे, वो सारे मन से भोले
एक ही पल में मन तेरा बिल्कुल हल्का हो जायेगा
बच्चों की तरह या तो हँस या उनकी तरह रो ले
लुका छिपी का खेल खेलते हैं जो रिश्ते नातों में
तू भी टीप मार दे छिप कर, उनकी तरह का हो ले
जब तकलीफ़ बढ़े हद से तो बस तू एक दवाई ले
ताक पे रख दे सारी दुनिया और ज़रा सा तू सो ले
तुझको भी संतुष्टि मिलेगी, जब तू बढ़ता देखेगा
अपने आँगन में फूलों वाला एक पौधा गर बो ले
कभी किसी का होना चाहे कभी किसी से भाग रहा
गर पाना है ईश्वर को तो, केवल तू अपना हो ले
गज़ल समझ कर मत पढ़ना तुम मेरे इन अशआरों को
मैंने तो बस भाव लिखें हैं, तू भी इनके संग हो ले

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