आई मिस यू, आई लव यू, लाइक यू के भाव सारे,
पेड़ पर लिख आए हैं हम प्रेम के पर्याय सारे.......
कह नहीं पाए प्रिये को सो प्रकृति से कह रहे हैं
पर्वतों से लड़ रहे हैं, हर नदी में बह रहे हैं
बाग,वन,झरने हमारे संग प्रिय को अब पुकारे
पेड़ पर लिख आए हैं हम प्रेम के पर्याय सारे.......
नैन निस दिन बह रहे हैं, धड़कनों में तीव्रता है,
सोचता मस्तिष्क अब ना, हाथ आई वेदना है
हो गए हैं अब हृदय में प्रेम के प्रतिश्याय सारे
पेड़ पर लिख आए हैं हम प्रेम के पर्याय सारे.......
छंद लिखे गीत लिखे , प्रिय समर्पित बंध लिखे
और फ़िर प्रिय ने किये जो संग, वो छल छंद लिखे
खत्म अब कर आए हैं हम प्रेम के अध्याय सारे
पेड़ पर लिख आए हैं हम प्रेम के पर्याय सारे.......

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