Hindi poetry and Hindi sahitya Hindi Literature
बस यूं ही
उड़ने को हैं पंख मगर, पिंजरे से इश्क़ लगाया है
हमने तो मन के भीतर ही, इक संसार बसाया है
खुद में ही हम गुम रहते हैं , खुद से बातें करते हैं
खुद की ख़ातिर खुद से खुद को हमने रोज़ मिलाया है।
आपकी अनमोल प्रतिक्रियाएं
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
आपकी अनमोल प्रतिक्रियाएं