मम अंतर्नाद

मम अंतर्नाद
मेरा एकल ग़ज़ल संग्रह

शुक्रवार, 12 अगस्त 2022

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खुल के रोने के लिए और खुल के हँसने को

मन का बच्चे सा बने रहना, एक ज़रूरत है। 



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