मुहब्बत है तो फिर आँखों में पानी क्यों??
ये अपने साथ तेरी बदगुमानी क्यों??
जहाँ नज़रों से सारे काम होने हैं
वहाँ बंदूक अब तुझको चलानी क्यों??
तुझे जिसका अदब करना था मेरे दिल
उसी के साथ तेरी बद जुबानी क्यों??
ज़हर किसने दिया और कब दिया बोलो
ये तेरे खून का रंग आसमानी क्यों??
तुम्हारा लाल धुत है जब नशे में फ़िर
बहु चहिए तुम्हें अब खानदानी क्यों??
नहीं माँगा था जिसने कुछ भी तुमसे फ़िर
उसी के साथ तेरी बेईमानी क्यों??
रसोईं में खड़ा जब हो गया आकर
तेरा जज़्बा अभी तक मेहमानी क्यों??
तेरे किरदार का रंग सबने देखा है
तू उसकी कर रहा है तर्जुमानी क्यों??
मरा है देश जब जब खोखला हो कर
पहन ली मंत्रियों ने शेरवानी क्यों??
चलाने के लिए हैं हाथ अरबों जब
उन्हें दिखते हैं अंबानी अडानी क्यों??
जिन्हें तुमको पकड़ना साँप हैं वोवो सब
फ़िर उनको कैद करने चूहेदानी क्यों??
स्वधा कर पायेगी ना चापलूसी जब
बताओ कर रहे फ़िर मेहबानी क्यों??

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