Hindi poetry and Hindi sahitya Hindi Literature
शिराएं हैं सभी निष्प्राण, स्पंदन नहीं होता,
विकल होता है मन लेकिन कभी क्रंदन नहीं होता,
मैं जुड़ जाती हूँ लिख कर भाव के पर्याय सब उसको
मग़र वो दे सदा उत्तर, कभी बंधन नहीं होता।।।
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