मुसलसल तेज बारिश हो रही थी,
कहीं पर कोई बिरहन रो रही थी..
पिया को ढूँढने की चाह में नित
वो पगली ख़ुद को ख़ुद ही खो रही थी..
जिसे मारा था उसके हमनशीं ने
वो अपनी लाश ख़ुद ही ढो रही थी....
जिसे तुम पूछते हो क्या हुआ था
वो चोरी के समय पर सो रही थी....
बचाने के लिए अपनों का दामन
स्वधा फ़िर दाग़ उनके धो रही थी...

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
आपकी अनमोल प्रतिक्रियाएं