मम अंतर्नाद

मम अंतर्नाद
मेरा एकल ग़ज़ल संग्रह

शुक्रवार, 1 जुलाई 2022

मुक्तक

 


कौन ऐसा जो इससे न टकराया हो, 

कौन जो इसकी माया में ना आया हो

उससे ज्यादा कोई भी प्रवंचित नहीं

जिसने मिलता हुआ प्रेम ठुकराया हो।।


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