बड़े घरों में रहने वालों
तुमसे बेहतर धारावी है।।
ऊँची ऊँची मीनारों में
छिछले छिछले मन रहते हैं
भरे हुए अंदर कोलाहल
बाहर शांति मंत्र कहते हैं
रत्न जड़ित मुकुटों का सच यह
रक्त पिपासु बने रहे हैं
ख़ुद को तरवर कहने वाले
फल खुद खा कर तने रहे हैं
जो भी सम्मुख दिखता है अब
सब का सब ही मायावी है।।
बड़े घरों में रहने वालों
तुमसे बेहतर धारावी है।।
संत महंतों की कुटिया में
हमने सभी प्रलोभन देखे
सोफा बेड कालीनें झूमर
ए सी से उपशोभन देखे
जब कृत्रिम हरियाली देखी
मन ही मन में हम मुस्काए
उपालंभ से दूर रहे हम
पर बिन कहे ये रुक ना पाए
ईश्वर निर्मित इस दुनिया में
अब ईश्वर भी दुनियावी है
बड़े घरों में रहने वालों
तुमसे बेहतर धारावी है।।
दिखने में तो एक जैसे थे
फ़िर एक कटता एक काटता
एक सभी को एक बनाता
एक अलग किस्मों में बाँटता
हिस्से हिस्से देश हो गया
किस्सा अब यह आम हुआ है
राम हुए केवल तुलसी के
कबिरा अब बदनाम हुआ है
ऐसे हालातों में मानवता का
मरना संभावी है
बड़े घरों में रहने वालों
तुमसे बेहतर धारावी है।।
धारावी में रहने वाले
अली मुहम्मद कृष्ण साथ हैं
राम खेलता है बस्ती में
अकबर उसका बहुत खास है
गले काटते नहीं, दिवाली ईद
गले मिल कर गाते हैं
रबिया हलवा चना बनाती
फिर सब मिलजुल कर खाते हैं
ऐसा हो माहौल तभी बस
राम राज्य बस अभिभावी है
बड़े घरों में रहने वालों
तुमसे बेहतर धारावी है।।

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