मम अंतर्नाद

मम अंतर्नाद
मेरा एकल ग़ज़ल संग्रह

शनिवार, 16 जुलाई 2022

पायल वाले पैर




कैसे समझेंगे वो बोलो

समय हुआ प्रतिकूल

जिन पायल वाले पैरों को 

लगी कभी ना धूल.......... 


मलमल की कालीनों पर

जिसका जीवन है बीता

जिसके घट में सदा सुधा है

जो घट कभी न रीता

उसको प्यास लगी पानी की

यह बस तेरी भूल


कैसे समझेंगे वो बोलो

समय हुआ प्रतिकूल।। 



सारी की सारी पीड़ा तो

फटी एड़ियाँ झेले

जिनके हिस्से में आये हैं

जग के सभी झमेले

कंकड़ पत्थर रस्ते वाले

और कटीले शूल


कैसे समझेंगे वो बोलो

समय हुआ प्रतिकूल


जिनके हिस्से में लिखा है

एक शाश्वत संग्राम

उनको भी आराम मिला

जब जप लेते राम

कष्टों की गिनती करते

भी जाते सब कुछ भूल


कैसे समझेंगे वो बोलो

समय हुआ प्रतिकूल।। 

जिन पायल वाले पैरों को 

लगी कभी ना धूल........

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

आपकी अनमोल प्रतिक्रियाएं