मम अंतर्नाद

मम अंतर्नाद
मेरा एकल ग़ज़ल संग्रह

शनिवार, 9 जुलाई 2022

एक लड़की की बंद अलमारी


एक पूरी की पूरी दुनिया है

एक लड़की की बंद अलमारी 


माँ के सपने समेट कर उसने 

अपनी चुन्नी में बांध रखे हैं 

बाप की शर्ट के बटन टूटे

सूईं तागे के साथ रखे हैं

लिस्ट भी एक बना इंरखी है

भाई की क्या ज़रूरतें होंगी

और पैसे पड़े अगर कम तो

कैसी उतरी सी सूरतें होंगी

घर में जो जो ज़रूरतें होंगी

उनकी पहले से करती तैयारी


एक लड़की की बंद अलमारी.... 


अपने कपड़ों के बीच में उसने

अपनी इच्छायें सब छुपाई हैं

और लॉकर में बन्द करके वो

अपने एहसास छोड़ आई है

उसमें कुछ ख़त हैं जो लिखे उसने

एक लड़के को चाँद कहते हुए

साथ चलने की गुज़ारिश के साथ

और आँसू के साथ बहते हुए

कर रही है वो सिर्फ अपने साथ 

चंद अपनों के लिए अइय्यारी


एक लड़की की बंद अलमारी.... 


खोलकर देखना कभी उसको

जाने कितनी  कहानियाँ होंगी

सिसकियाँ हिचकियाँ मिलेंगी तुम्हें

कितनी रखी निशानियाँ होंगी

टूटे सपनों की एक गुल्लक में

ख़्वाब कुछ टूटे खनखनायेंगे

कोई पढ़ पाए ना कभी उसको

इसलिए पल्ले गुनगुनायेंगे

ख़ुद को ख़ुद में ही छिपा लेने की

कर रही है वो पूरी तैयारी


एक लड़की की बंद अलमारी.... 


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