मम अंतर्नाद

मम अंतर्नाद
मेरा एकल ग़ज़ल संग्रह

मंगलवार, 5 जुलाई 2022

बस एक शेर


 

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यकीं उसको यकीनन अब नहीं बिल्कुल बचा मुझ पर, 

जो मेरी पीठ पर तिल है, वो अपना काम कर आया।। 

 

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